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अनोखी परंपरा : गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में आकाश भैरव का दीप जलाने के बाद ही घरों में जले दीये, आखिर क्यों ?

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गोपेश्वर (चमोली) — उत्तराखंड के चमोली जिले में गोपेश्वर स्थित प्राचीन गोपीनाथ मंदिर में हर साल दीपावली पर निभाई जाने वाली अनोखी परंपरा इस बार भी पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ संपन्न हुई। परंपरा के अनुसार, दीपावली से पहले मंदिर के शिखर पर आकाश भैरव का तेल कलश दीप प्रज्वलित किया गया। इसके बाद ही गांव के लोग अपने घरों की देहरी पर दीप जलाते हैं।

दीपावली के शुभ अवसर पर आकाश भैरव के तेल कलश की पूजा-अर्चना की गई, जिसके बाद मंदिर के शिखर पर दीप प्रज्ज्वलित हुआ। मंदिर के शिखर पर दीप प्रज्वलित होते ही शंखध्वनि की गूंज के साथ अनुष्ठान संपन्न हुआ। इस पारंपरिक रस्म के बाद ही गोपेश्वर और आसपास के छजुला गांव के निवासियों ने अपने घरों में दीप जलाए।

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स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह परंपरा सदियों पुरानी है और पीढ़ियों से इसका पालन किया जा रहा है। मान्यता है कि इस धार्मिक अनुष्ठान से भगवान शिव और आकाश भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।

गोपीनाथ मंदिर में दीपावली से पूर्व इस विशेष पूजा में शामिल होकर गांव वालों ने परंपरा का पालन किया और दीप जलाकर देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया।

 

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