योगेश बधानी और ऋचा डोभाल ने पहाड़ में रहकर स्वरोजगार का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया। घर की रसोई से शुरू हुआ उनका कारोबार आज शहरों में भी प्रसिद्ध है। जानिए, कैसे उन्होंने स्थानीय संसाधनों से व्यवसाय स्थापित किया और महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए।
उत्तराखंड में स्वरोजगार की चुनौतियों और आशंकाओं को दरकिनार करते हुए, युवा व्यवसायी योगेश बधानी और ऋचा डोभाल ने अपने संघर्ष और मेहनत से एक सफल बिजनेस मॉडल खड़ा किया है। दोनों ने घर की रसोई से काम शुरू किया और आज अपने ही गांव में बड़ा व्यवसाय स्थापित कर लिया है। उनका व्यापार अब पहाड़ों से बाहर बड़े शहरों तक पहुंच चुका है, जहां लोग उनके द्वारा बनाए गए विभिन्न प्रकार के जूस, चटनी और अचार के दीवाने हो गए हैं।
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योगेश और ऋचा का यह व्यवसाय न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि गांव की 25 महिलाओं के लिए भी रोजगार का स्रोत बना हुआ है। इसके साथ ही, सैकड़ों अन्य लोगों को भी अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है। इन दोनों ने अपने व्यवसाय में गहन अनुसंधान और मेहनत के बाद अब फल के छिलकों और वेस्ट मटेरियल से जैविक डिटर्जेंट, रूम और बाथरूम क्लिनर तैयार करने की योजना बनाई है। इन उत्पादों का उद्देश्य बाजार में उपलब्ध कैमिकल युक्त उत्पादों के ख़तरों से घरेलू कामकाजी महिलाओं को बचाना है।
योगेश का व्यवसाय अब तेजी से बढ़ रहा है, और उनके अधिकांश उत्पाद पहाड़ के जैविक उत्पादों से तैयार हो रहे हैं। उनके इस प्रयास ने यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में भी अपनी मेहनत और संसाधनों का सही उपयोग करके कारोबार स्थापित किया जा सकता है। इसके साथ ही, उनका यह प्रयास महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी एक प्रेरणास्त्रोत बन गया है।
योगेश बधानी और ऋचा डोभाल की यह सक्सेस स्टोरी हमें यह संदेश देती है कि कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद, सही दिशा में काम करने से किसी भी स्थान पर रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं।
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