मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने UKSSC स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी पर कड़ा रूख इख्तियार करके ये बात कही कि सभी प्रभावित परीक्षाओं को निरस्त किया जाए तथा गड़बड़ी में शामिल सभी आरोपियों को गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही करके सलाखों के पीछे डाला जाए। उनकी अवैध संपतियों को जब्त किया जाए। इस संबंध में उन्होंने राज्य पुलिस से भी इस विषय में तेजी लाने की बात कही है। हालाँकि ये बात बीते शाम मुख्यमंत्री ने एक निजी चैनल से वार्ता के दौरान भी कही। मगर इन सब के बाद भी कई सवाल फिर उठने लगे हैं।
परीक्षाओं के निरस्त होने के बाद उठते सवाल
UKSSC स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी वाले परीक्षाओं के निरस्त करने की बात से सबसे बड़ा सवाल यह उठने लगा है कि जिस आयोग पर गड़बड़ी कराने व संबंधित परीक्षाओं को प्रभावित करने का आरोप लगा है उनपर अभी तक जाँच रिपोर्ट में 22 गिरफ्तारियों के बाद भी कोई नाम सामने नहीं आए हैं। इसके अलावा आयोग द्वारा कराई गई सभी भर्ती परीक्षाओं को भी संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। कई सारे सवाल बीते परीक्षाओं पर भी उठे मगर इसपर भी परिचर्चा नदारद रही।
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इन भर्ती परीक्षाओं को निरस्त करने की बात से ये सवाल भी उठने लगे हैं कि कहीं इसकी वजह से कई बड़ी मछलियाँ बच तो नहीं गई या फिर वे कर्मचारी व अभ्यर्थी जिनपर संदेह बना हुआ था वे भी अब उन्हें भी क्लीन चिट तो नहीं मिल गया? इसके अलावा नक़ल में शामिल सभी अभ्यर्थियों को ब्लैक लिस्ट करने की बात भी अभी तक खुल के सामने नहीं आयी है। क्यूंकि वर्ष 2016 में विडिओ भर्ती परीक्षा में इसी तरह की गड़बड़ी के बाद सम्बन्धित परीक्षा को निरस्त कर दिया था मगर उसके बाद भी नक़ल का यह शिलशिला थमा नहीं है। बल्कि इन सबके बाद यह आरोप लगे हैं कि नक़ल माफिया उससे दुगुनी रफ़्तार से आगे बड़ा है।
इसके अलावा जिन अभ्यर्थियों को तत्कालीन भर्ती परीक्षा में आरोपी बनाया गया था उसके बाद भी आयोग पर कोई कार्यवाही समाने नहीं आयी थी। अभी भी कई सारे आरोप कथित रूप से आयोग की कार्यप्रणाली पर भी लगे हैं। जिसमे इन सब के बीच सवाल बहुत से हैं मगर मुख्यमंत्री के जाँच के आदेश में तेजी लाने वाली बात से यह देखना होगा कि पुलिस द्वारा दी जाने वाली अंतिम रिपोर्ट में क्या बात सामने निकल आती है। या इन सबका हाल भी उन्हीं जांच रिपोर्ट जैसा हो जायेगा जिस तरह से पुरानी जांच रिपोर्ट्स का हुआ है।
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