उत्तराखंड की केदारघाटी के एक छोटे से गांव, देवर (गुप्तकाशी) की राखी चौहान ने कड़ी मेहनत और समर्पण से भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट पद पर अपना नाम दर्ज करा कर पूरे राज्य को गौरवान्वित किया है। राखी का चयन भारतीय सेना के मेडिकल विंग में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत हुआ है, और इस उपलब्धि ने न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे गांव में खुशी की लहर फैला दी है।
कठिन परिस्थितियों में की पढ़ाई, कभी नहीं हारी हिम्मत
राखी का शुरुआती सफर चुनौतियों से भरा था। उनकी पढ़ाई इंटरमीडिएट तक राजकीय इंटर कॉलेज, गुप्तकाशी में हुई और उच्च शिक्षा देहरादून के मानव भारती कॉलेज से संपन्न हुई। साधारण परिवार में जन्मी राखी ने कठिन आर्थिक हालातों के बावजूद सुभारती मेडिकल कॉलेज से नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की। कुछ खास करने की जिद और जज्बे के साथ राखी घंटों तक पढ़ाई करती थीं। आखिरकार, मेहनत रंग लाई और उनके सपने हकीकत में बदल गए।
बेटी के लेफ्टिनेंट बनने पर पिता के छलके आंसू
राखी के पिता, दिलीप सिंह चौहान, होटल व्यवसाय से जुड़े हैं। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई का समर्थन किया, ताकि वह अपने सपनों को पूरा कर सके। जब दिलीप सिंह को अपनी बेटी के लेफ्टिनेंट बनने की खबर मिली, तो उनकी आंखें गर्व और खुशी से भर आईं। उन्होंने बताया कि राखी बचपन से ही शांत और मेहनती स्वभाव की रही हैं, और अपने लक्ष्य को पाने के लिए वह हमेशा समर्पित रही हैं।
आर्थिक चुनौतियों के बावजूद कायम रखा सपना
परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होते हुए भी, राखी ने कभी हार नहीं मानी। उनकी सफलता की राह आसान नहीं थी, लेकिन उनका आत्मविश्वास और समर्पण अद्वितीय था। राखी ने भारतीय सेना के ऑल इंडिया मेडिकल विंग में 52वीं रैंक हासिल की, जो उनके समर्पण का प्रत्यक्ष प्रमाण है। अब, उनके सेना में लेफ्टिनेंट बनने से न केवल परिवार बल्कि पूरे केदारघाटी में उत्सव का माहौल है।
राखी चौहान की यह प्रेरक कहानी इस बात का उदाहरण है कि कठिनाइयों को पार कर अपने सपनों को साकार किया जा सकता है। उनकी उपलब्धि ने साबित किया है कि आत्मविश्वास, समर्पण और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
अगर आपको Viral Pahad से सम्बंधित यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें साथ ही हमारे Facebook | Twitter | Instagram व | Youtubeको भी सब्सक्राइब करें।
3 thoughts on “केदारघाटी की बेटी राखी चौहान ने आर्थिक तंगी को मात देकर हासिल किया सेना में लेफ्टिनेंट का मुकाम”