चमोली: उत्तराखंड की लोक कलाओं, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने के प्रयास में राज्य समीक्षा के जरिए प्रदेश के हुनरमंद लोगों को सामने लाने की कोशिश जारी है। इसी क्रम में चमोली जिले के बंड पट्टी के किरूली गांव में रहने वाले 65 वर्षीय दरमानी लाल का उल्लेखनीय योगदान सामने आता है, जो पिछले 40 वर्षों से रिंगाल के रेशों से कला को जीवंत बना रहे हैं। दरमानी लाल रिंगाल से लैंप शेड, टी-ट्रे, डस्टबिन, बॉस्केट जैसी अनगिनत कलाकृतियां तैयार करते हैं, जिनकी खूबसूरती और कारीगरी का हर कोई कायल है।
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रिंगाल से वस्तुएं बनाना उत्तराखंड का एक पुरातन हस्तशिल्प है, लेकिन आधुनिक समय में प्लास्टिक की वस्तुओं के प्रचलन से इन पारंपरिक कृतियों की मांग में गिरावट आई है। इस हस्तशिल्प को संजोने का प्रयास बुजुर्ग शिल्पकार कर रहे हैं, लेकिन नई पीढ़ी इसे एक व्यवसाय के रूप में नहीं अपनाना चाहती है, जिससे इस कला के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
दरमानी लाल जैसे शिल्पकार अपनी परंपराओं को जीवित रखते हुए इन उत्पादों के संरक्षण के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। इच्छुक लोग उनसे संपर्क कर सीधे हस्तशिल्पी उत्पादों की मांग कर सकते हैं। हस्तशिल्प को संजोए रखने और इसे प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे कलाकारों के प्रयासों की सराहना करना आवश्यक है ताकि उत्तराखंड की लोक कलाओं और हस्तशिल्प के संरक्षण में मदद मिल सके।
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