केदारनाथ धाम की शीतकालीन पूजा ऊखीमठ में क्यों होती है? जानें महत्व और यात्रा विवरण

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ऊखीमठ को शीतकालीन पूजा स्थल के रूप में खास पहचान प्राप्त है। जब केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होते हैं, तब भगवान केदारनाथ की पूजा ऊखीमठ में विधिवत रूप से की जाती है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभवों से भरी होती है। आइए जानते हैं, शीतकालीन पूजा स्थल ऊखीमठ में भगवान केदारनाथ की पूजा का महत्व और विशेषताएं।

केदारनाथ धाम की शीतकालीन पूजा ऊखीमठ में क्यों होती है?


ऊखीमठ: भगवान केदारनाथ का शीतकालीन निवास

श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट हर साल नवंबर महीने में भाई दूज के अवसर पर बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद भगवान केदारनाथ की चल विग्रह डोली को विधि-विधान के साथ ऊखीमठ लाया जाता है। यह डोली श्री ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित की जाती है, जो भगवान केदारनाथ के शीतकालीन निवास के रूप में प्रसिद्ध है। जब केदारनाथ में भारी बर्फबारी और ठंड होती है, तब ऊखीमठ में पूरे शीतकाल के दौरान भगवान की पूजा की जाती है।


शीतकालीन पूजा का महत्व

शीतकालीन पूजा का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। जब केदारनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए बंद हो जाता है, तब भी भक्त ऊखीमठ आकर भगवान केदारनाथ के दर्शन कर सकते हैं और पूजा-अर्चना कर सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भगवान की पूजा निरंतर होती रहे, चाहे मौसम कोई भी हो। इस दौरान ऊखीमठ में पूरे विधि-विधान और विशेष अनुष्ठानों के साथ भगवान की आराधना की जाती है।


ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से ऊखीमठ का महत्व

ऊखीमठ का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है, और इसे उषा-अनिरुद्ध विवाह स्थल के रूप में जाना जाता है। इस स्थान का धार्मिक महत्व इस बात से भी बढ़ जाता है कि भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा यहीं होती है। ऊखीमठ का वातावरण बेहद शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा होता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।


 विधि और अनुष्ठान

शीतकाल के दौरान ऊखीमठ में केदारनाथ भगवान की पूजा बेहद खास होती है। यहां प्रतिदिन सुबह और शाम को विशेष आरती होती है, जिसमें स्थानीय पुजारी और श्रद्धालु भाग लेते हैं। विशेष पर्वों और उत्सवों के दौरान यहां बड़े स्तर पर अनुष्ठान और धार्मिक आयोजनों का आयोजन किया जाता है।


ऊखीमठ पहुंचने के लिए यात्रा मार्ग

ऊखीमठ तक पहुंचना आसान है। यह रुद्रप्रयाग जिले से लगभग 41 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, और जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून, यहां का निकटतम हवाई अड्डा है। ऊखीमठ तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। शीतकाल के दौरान यहां की यात्रा करना एक अलौकिक और पवित्र अनुभव होता है।


ऊखीमठ में ठहरने की सुविधा

ऊखीमठ में शीतकालीन दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कई धर्मशालाएं और होटल उपलब्ध हैं। यहां पर ठहरने की अच्छी सुविधा के साथ-साथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र में भी आवास की व्यवस्था की जाती है।


ऊखीमठ यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  •  ऊखीमठ में शीतकालीन मौसम के दौरान कड़ाके की ठंड पड़ती है, इसलिए गर्म कपड़े और जरूरी वस्त्र साथ लेकर आएं।
  • यात्रा के लिए पहले से पंजीकरण करवाना आवश्यक है, खासकर अगर आप केदारनाथ धाम की यात्रा के बाद ऊखीमठ आ रहे हैं।
  •  स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं का सम्मान करें।


ऊखीमठ में भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है। जो श्रद्धालु केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भी भगवान के दर्शन करना चाहते हैं, उनके लिए ऊखीमठ आदर्श स्थान है। यहां भगवान केदारनाथ की पूजा में भाग लेने से अद्वितीय आत्मिक शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है। 



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