उत्तराखंड का पारंपरिक व्यंजन फाणू: पेट की समस्याओं और पथरी के इलाज में लाभकारी

उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों में से एक प्रमुख व्यंजन फाणू न केवल अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी इसे खास बनाते हैं। फाणू मुख्य रूप से गहत (Macrotyloma uniflorum) से बनाया जाता है, जिसे पेट की समस्याओं और किडनी पथरी जैसी बीमारियों के इलाज में अत्यंत लाभकारी माना जाता है।  

उत्तराखंड का पारंपरिक व्यंजन फाणू: पेट की समस्याओं और पथरी के इलाज में लाभकारी


पारंपरिक विधि से तैयार होता है फाणू

फाणू बनाने के लिए गहत को रातभर पानी में भिगोया जाता है। भिगोए हुए गहत को पीसकर उसका पेस्ट बनाया जाता है, जिसे मसालों के साथ पकाया जाता है। गहत की यह दाल उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रयोग होती है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह व्यंजन पेट की गैस, अपच, और अन्य पाचन समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। 


गहत के औषधीय गुण

विशेषज्ञों के अनुसार, गहत में उच्च मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, और मिनरल्स होते हैं, जो शरीर के लिए अत्यधिक लाभकारी होते हैं। इसे नियमित खाने से पेट की समस्याओं के साथ-साथ **किडनी में पथरी** की समस्या भी दूर की जा सकती है। गहत में मौजूद प्राकृतिक गुण किडनी से पथरी को निकालने में मदद करते हैं।


स्वास्थ्य के साथ स्वाद भी

स्थानीय गृहिणियों के अनुसार, फाणू न केवल स्वास्थ्यवर्धक है बल्कि इसका स्वाद भी बेहद खास होता है। "इसकी खास बात यह है कि इसे बनाने में ज्यादा सामग्री की जरूरत नहीं होती और इसे आसानी से तैयार किया जा सकता है," कहती हैं नैनीताल की रहने वाली सुनीता रावत। फाणू को हरे धनिये से सजाकर परोसा जाता है, जो इसकी स्वादिष्टता को और बढ़ाता है।


 राज्य की पहचान बन रहा है फाणू

उत्तराखंड सरकार द्वारा पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे अभियानों में फाणू को भी विशेष स्थान दिया जा रहा है। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "हम राज्य के पारंपरिक व्यंजनों को देश-विदेश में पहचान दिलाने का प्रयास कर रहे हैं और फाणू उनमें से एक है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होने के साथ ही हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा भी है।"


 रेसिपी पर एक नज़र

फाणू बनाने के लिए आवश्यक सामग्री में गहत, अदरक, लहसुन, प्याज, हल्दी, लाल मिर्च, धनिया पाउडर, जीरा, और हींग का प्रयोग किया जाता है। इसे पकाने के लिए सबसे पहले गहत का पेस्ट तैयार किया जाता है और फिर इसे मसालों के साथ धीमी आंच पर पकाया जाता है। इसे पारंपरिक रूप से चावल या रोटी के साथ खाया जाता है।


पेट की समस्याओं और पथरी का पारंपरिक इलाज

चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि गहत जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थों में कई औषधीय गुण होते हैं, जो आधुनिक जीवनशैली से उत्पन्न बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। फाणू जैसे व्यंजन न केवल स्वास्थ्य को दुरुस्त रखते हैं, बल्कि पुरानी बीमारियों से भी राहत दिला सकते हैं। 



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