उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तरकाशी जिला पंचायत के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें गंगा नदी के 500 मीटर के भीतर मांस की बिक्री पर रोक लगाई गई थी। पंचायत ने 2016 में उस दायरे में स्थित मांस की दुकानों को भी शिफ्ट करने का निर्देश भी दिया था।
इस फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता नावेद कुरैशी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अनुसार वह 2006 से मीट की दुकान चला रहा था और उसके पास इसका लीगल लाइसेंस भी है इसलिए जिला पंचायत उसे बंद नहीं कर सकती।
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नावेद कुरैशी द्वारा दी गई याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकल पीठ ने जिला पंचायत उत्तरकाशी के फैसले पर मोहर लगाई है। यही नहीं अदालत ने आगे चलकर कहा कि भारत के संविधान के भाग।x में जिला पंचायत और स्थानीय निकायों के पास ऐसे नियम उपनियम बनाने की शक्तियां हैं। वहीं उत्तराखंड की विशेष स्थिति और उत्तरकाशी से निकलने वाली गंगा नदी और उत्तराखण्ड की बहुसंख्यक आबादी की पवित्रता इससे मामले से जुड़ी है इसलिए यह निर्णय लिया गया।
नैनीताल हाईकोर्ट ने रिट याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति जो उत्तरकाशी जिले में जानवरों को बेचने और काटने के लिए मांस की दुकान चलाता है उसे संबंधित प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। वहीं जिला पंचायत द्वारा बनाए गए उपनियमों के अनुसार चलना होगा।
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