मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी सरकार वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को नशा मुक्त बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है और इसके लिए कार्ययोजना के तहत हर स्तर पर प्रयास जारी हैं. उन्होंने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नशीली दवाओं की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक बैठक में भाग लिया। धामी ने गृह मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार मादक पदार्थों की तस्करी से सख्ती से निपट रही है और इसके सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार भी राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी के नेटवर्क को ध्वस्त करने का प्रयास कर रही है।
धामी ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार इस मुद्दे पर जन जागरूकता बढ़ा रही है और दूसरी तरफ नशीली दवाओं की तस्करी में शामिल अपराधियों पर कार्रवाई कर रही है. उन्होंने खुलासा किया कि इस वर्ष एनडीपीएस एक्ट के तहत कुल 586 मामले दर्ज किये गये हैं और 742 गिरफ्तारियां की गयी हैं. वर्ष 2022 में राज्य सरकार ने तीन स्तरीय एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया था और मानसिक स्वास्थ्य नीति लागू करने का निर्णय लिया है। सरकार राज्य के नशा मुक्ति केंद्रों को और अधिक प्रभावी बनाने की योजना बना रही है ताकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोका जा सके और नशा करने वालों का पुनर्वास किया जा सके और उन्हें राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। प्रदेश की जेलों में नशामुक्ति पर विशेष परामर्श सत्र एवं सेमिनार आयोजित किये जा रहे हैं।
सीएम ने कहा कि राज्य में नशे के आदी लोगों के लिए चार एकीकृत पुनर्वास केंद्र कार्यरत हैं और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली की मदद से एक नशा मुक्ति उपचार सुविधा कार्यरत है। उन्होंने कहा कि हर जिले के शैक्षणिक संस्थानों में एंटी ड्रग क्लब समितियां गठित की गई हैं। इस वर्ष विश्व नशा विरोधी दिवस के अवसर पर 1.25 लाख युवाओं ने नशा विरोधी ई-शपथ ली। राज्य सरकार ने छठी से बारहवीं कक्षा के छात्रों के पाठ्यक्रम में दवाओं पर एक विषय शामिल करने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को एक प्रस्ताव भेजा है। बैठक में विभिन्न राज्यों के राज्यपाल और सीएम शामिल हुए.