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भद्रराज मंदिर मसूरी: भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का उत्तराखंड में एकमात्र मंदिर

  मसूरी, जिसे ‘पहाड़ों की रानी’ कहा जाता है, अपने मनमोहक दृश्यों और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इन खूबसूरत वादियों के बीच एक ऐसा धार्मिक स्थल है जो अभी भी बहुतों की नज़रों से छुपा हुआ है – भद्रराज मंदिर। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांति मन को मोह लेती है।

भद्रराज मंदिर मसूरी

भद्रराज मंदिर का महत्व:

भद्रराज मंदिर भगवान बलराम, जिन्हें भगवान भद्रराज के रूप में पूजा जाता है, को समर्पित है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के बीच विशेष मान्यता रखता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान भद्रराज इस क्षेत्र के रक्षक हैं और उनकी पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

मंदिर का इतिहास:

भद्रराज मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, यह मंदिर बहुत प्राचीन है और यहाँ भगवान बलराम की पूजा की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। हर साल अगस्त के महीने में यहाँ एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से भक्त आते हैं और भगवान भद्रराज का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

यात्रा मार्ग:

भद्रराज मंदिर मसूरी से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए मसूरी से हाथी पाँव के रास्ते होते हुए पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह ट्रेक न केवल रोमांचक है, बल्कि रास्ते में अद्भुत प्राकृतिक दृश्य भी देखने को मिलते हैं। यह यात्रा ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग के समान है।

प्राकृतिक सुंदरता:

भद्रराज मंदिर की यात्रा के दौरान पहाड़ियों की हरी-भरी वादियाँ, घने जंगल और रंग-बिरंगे फूलों के खेत आपकी यात्रा को और भी मनमोहक बना देंगे। यहाँ से आप यमुना नदी का भी अद्भुत दृश्य देख सकते हैं। यह स्थान एकांत और शांति की तलाश में आने वाले पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थल है।

मंदिर परिसर:

मंदिर परिसर में भगवान भद्रराज की भव्य मूर्ति स्थापित है। यहाँ हर साल भक्तों का तांता लगा रहता है, खासकर अगस्त के महीने में जब यहाँ मेला लगता है। भक्तगण यहाँ नारियल, फूल और मिठाई अर्पित करते हैं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

भद्रराज मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांति आपके मन को सुकून देती है। अगर आप मसूरी की यात्रा पर हैं, तो इस छुपे हुए रत्न की यात्रा अवश्य करें और भगवान भद्रराज का आशीर्वाद प्राप्त करें। यह अनुभव आपको न केवल आध्यात्मिक संतोष देगा, बल्कि प्रकृति की गोद में कुछ पल बिताने का अद्भुत अवसर भी प्रदान करेगा।

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