उत्तराखंड की ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी ज्योतिर्मठ में भू-धंसाव की समस्या को लेकर सरकार गंभीरता से काम कर रही है। ज्योतिर्मठ में सुरक्षात्मक कार्यों के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने का काम लगभग पूरा हो चुका है। आईआईटी रुड़की से डीपीआर का परीक्षण पूरा होते ही इन कार्यों पर जल्द ही अमल शुरू किया जाएगा।
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने दी जानकारी
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने गुरुवार को ज्योतिर्मठ में स्थानीय लोगों को इस प्रस्तावित परियोजना की जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने बताया कि ज्योतिर्मठ के लिए तैयार की गई डीपीआर में कई सुरक्षात्मक उपाय शामिल हैं। कार्यदायी संस्थाओं ने शहर में सुरक्षा के लिए सीवरेज, ड्रेनेज, स्लोप स्टेबलाइजेशन (ढलान स्थिरीकरण), और नदी किनारे टो-प्रोटेक्शन वॉल (रक्षा दीवार) निर्माण जैसे कार्यों का प्रस्तुतिकरण दिया।
शहर में होंगे महत्वपूर्ण निर्माण कार्य
डीपीआर के अनुसार, ज्योतिर्मठ शहर को भू-धंसाव से बचाने के लिए निम्नलिखित कार्य किए जाने हैं:
- सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम: शहर के पानी की निकासी के लिए आधुनिक और मजबूत सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण।
- स्लोप स्टेबलाइजेशन: ढलान स्थिर रखने के लिए इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग।
- टो-प्रोटेक्शन वॉल: नदी के किनारों पर सुरक्षा दीवारों का निर्माण, जिससे बाढ़ या कटाव की समस्या से निपटा जा सके।
इस कार्य योजना के तहत शहर की सुरक्षा और स्थायित्व को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे भू-धंसाव की समस्या से राहत मिलेगी और शहर में सामान्य जीवन बहाल हो सकेगा।
आईआईटी रुड़की का योगदान
आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई इस डीपीआर के परीक्षण के बाद, सुरक्षात्मक कार्यों पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। सरकार की ओर से यह कदम ज्योतिर्मठ के निवासियों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है, जो पिछले कुछ समय से भू-धंसाव की समस्या का सामना कर रहे हैं।