उत्तराखंड में चारधाम यात्रा बरसात के कारण धीमी जरूर पड़ गई है मगर इस साल जिस तरह से चारधामों में यात्रियों का जाना लगा है उसने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक मई से शुरुवात में शुरू हुई चारधाम यात्रा में कपाट खुलने के बाद से 10,42,963 यात्रियों ने बदरीनाथ की यात्रा कि जो हर दिन का औसतन 17,383 है। वहीं शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में शामिल केदारनाथ की बात करें तो इस साल केदारनाथ यात्रा खुलते ही 9,76,514 लोगों ने बाबा केदार के दर्शन किये। जो प्रतिदिन का औसतन 16,275 है।
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उसी रह यमुनोत्री और गंगोत्री में यात्रा चरम पर है। मगर इस ताजा आंकड़ों ने भू-वैज्ञानिकों और हिमनदविदों को चिंतित कर दिया है। देहरादून में स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट के भू वैज्ञानिकों के अनुसार यदि इतनी मात्रा में उच्च पर्वतीय इलाकों में लोगों का जाना लगा रहा तो इससे भविष्य में गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे। उनके अनुसार उत्तराखंड के पहाड़ अभी भी नवीन हैं और इनमें लगातार हलचलें देखने को मिल रही हैं। वहीं राज्य सरकार ने भी इन उच्च पर्वतीय इलाकों में स्थित मंदिरों में मानवों की अधिकतम संख्या की वैज्ञानिक गणना नहीं की है।
आगे चलकर वे कहते हैं कि गंगोत्री-यमुनोत्री यात्रा के प्रमुख जिला उत्तरकाशी मानवीय दृष्टिकोण से अति संवेदनशील हैं। यहाँ बन रहे होटल, लाॅज, नव निर्माण संबंधि कार्यों पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता है। एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक इस साल अकेले हाॅलिकाप्टर से ही 88000 तीर्थ यात्रियों ने यात्रा की। जो उच्चस्तरीय इलाकों में ध्वनि प्रदूषण सहित, तापमान को भी बड़ा रहा है। आपको बता दें इससे पहले भी वैज्ञानिक ग्लेशियरों के लगातार पीछे खिसखने पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।
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